सहजन की खेती है लाभकारी पती और फल दोनों है गुणकारी।

सहजन की खेती है लाभकारी पती और फल दोनों है गुणकारी।

Bettiah Bihar West Champaran मझौलिया

साग सब्जी पशु चारा तथा प्रसव के बाद औरतों के लिए है उपयोगी।

सहजन करता है चेचक डायबिटीज ब्लड प्रेशर से बचाव।

बेतिया से वकीलुर रहमान खान की‌ ब्यूरो रिपोर्ट।

मझौलिया (पश्चिमी चंपारण)
प्रकृति ने विभिन्न प्रकार के उपयोगी पेड़ पौधे भी प्रदान किए हैं जिनकी उपयोगिता मानव जीवन के लिए काफी महत्वपूर्ण है। लेकिन हम उन पर विशेष ध्यान नहीं देते हैं क्योंकि इनकी गुणवत्ता के बारे में जानकारी नहीं होती है।इसी कड़ी में एक सब्जी वाला पौधा सहजन है जिसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा है। इसका फल ही नहीं पती भी काफी उपयोगी और लाभदायक है ।उक्त जानकारी पूर्व किसान श्री सह रुलही पंचायत के किसान सलाहकार परशुराम सिंह ने दी ।उन्होंने बताया सहजन 10 वर्षों तक फल देने वाला बारहमासी पौधा है।जो मई जून जुलाई के महीने में रोपा जाता है । तथा 6 माह के अंदर यह फल फूल देना शुरू कर देता है । इस सहजन के सेवन से चेचक से बचाव होता है। प्रसव के बाद औरतों के लिए हीमोग्लोबिन का काम करता है वहीं इसकी पत्तियां मछली के चारा के रूप में तथा पशुओं के चारा के रूप में उपयोगी माना जाता है। इसका फल सब्जी के रूप में विशेष कर दक्षिण भारत के केरल उड़ीसा सहित गुजरात पश्चिम बंगाल दिल्ली आदि में विशेष रूप सेवन किया जाता है । कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार सहजन की पती का जूस पीने से ब्लड प्रेशर डायबिटीज तथा मोटापा घटाने में कारगर साबित होता है । किसान सलाहकार परशुराम सिंह ने बताया कि सहजन की खेती प्रखंड क्षेत्र के सेनुवरिया पंचायत अंतर्गत दुबौलिया निवासी केशव सिंह , रमन सिंह , सुनील सिंह , जिला के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर सुशील चौधरी साठी के प्रसिद्ध किसान आनंद सिंह लालसरैया के मनमोहन पांडेय द्वारा व्यापक स्तर पर किया गया है। यूं तो सहजन का पौधा प्राय हर जगह उपलब्ध होता है लेकिन इसके लिए बलुई मिट्टी काफी उपयोगी है। व्यावसायिक दृष्टिकोण से यह पौधा लगाना लाभदायक होगा। बताते चले की ओम वर्मी कंपोस्ट दुबौलिया तथा सुपर किसान क्लब रुलही में सहजन के पौधों की नर्सरी पूर्व किसान श्री परशुराम सिंह के देखरेख में तैयार हो रही है तथा जागरूक किसान यहां से पौधा ले जाकर अपने खेतों में रोपण कर रहे हैं। इसका बीज तैयार करने में वर्मी कंपोस्ट काफी लाभदायक होता है।

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