*फसलों के अवशेष (पुआल, खुंटी आदि) को खेतों में जलाने से होता है काफी नुकसान, कृषकों के बीच फसल अवशेष प्रबंधन का व्यापक प्रचार-प्रसार करायें : जिलाधिकारी।*

*फसलों के अवशेष (पुआल, खुंटी आदि) को खेतों में जलाने से होता है काफी नुकसान, कृषकों के बीच फसल अवशेष प्रबंधन का व्यापक प्रचार-प्रसार करायें : जिलाधिकारी।*

Bettiah Bihar

 

*बेतिया* *न्यूज़ ब्यूरो वकील रहमान खान*

*बेतिया* जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार की अध्यक्षता में आज फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जिलास्तर पर अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक सम्पन्न हुयी। जिलाधिकारी ने कहा कि जिले के किसानों के बीच कृषि विभाग द्वारा जारी फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित जागरूकता संदेश का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित कराया जाय। साथ ही फसल अवशेष प्रबंधन हेतु जारी दिशा-निर्देर्शों का शत-प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित किया जाय।

जिलाधिकारी ने कहा कि समान्यतया यह देखा जा रहा है कि कृषक फसलों के अवशेष (पुआल, खुंटी आदि) को खेतों में जला देते हैं। ऐसा करने से मिट्टी एवं पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचता है। फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है जिसके कारण मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से ही हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाता है। इसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।

उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि मृत हो जाते हैं। इनके मिट्टी में रहने से ही मिट्टी जीवन्त कहलाता है। जमीन के लिए जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण उत्पादन घटता है। वायुमंडल में कार्बनडाइ ऑक्साइड (सीओटू) की मात्रा बढ़ती है, जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होता है एवं जलवायु परिवर्तन का कारण बनता है।

समीक्षा के क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि किसानों के बीच कृषि विभाग द्वारा जारी फसल अवशेष प्रबंधन से संबंधित जानकारी का प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। कृषकों को बताया जा रहा है कि यदि फसल की कटनी हार्वेस्टर से की गई हो तो खेत में फसलों के अवशेष पुआल, खुंटी आदि को जलाने के बदले खेत की सफाई हेतु बेलर मशीन का प्रयोग करें। अपने फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचायें तथा संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग की ओर से मशीनरी यंत्र विशेष अनुदान के तौर पर किसानों को उपलब्ध कराया जा रहा है ताकि किसान खेत में पुआल को न जलाकर इन मशीनरी यंत्रों द्वारा खाद के रूप में इस्तेमाल कर सके।

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