बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट।
मझौलिया(पच्छिम चम्पारण)
मझौलिया कृषि विज्ञान केन्द्र माधोपुर में दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्राकृतिक खेती विषय पर किया गया। कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत दीप प्रज्वलित कर जीविका के जिला परियोजना प्रबंधन श्री निखिल कुमार एवं केन्द्र के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने किया। डॉ सिंह ने अपने सम्बोधन में कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र माधोपुर के द्वारा जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान इस पद्धति को अपनाकर अपनी आमदनी को बढा सके। । श्री निखिल ने बताया कि पहले के समय में इसी प्राकृतिक खेती का प्रचलन था जिसके बल पर हमारे पूर्वज इतने समृद्ध थे। फिर से वो समय आ गया है कि हमें हमारी प्राचीन पद्धति से खेती करने की आवश्यकता है ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी को हम एक अच्छी व्यवस्था सौंप सकें तथा पर्यावरण को भी स्वच्छ रख सकें। केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ धीरु कुमार तिवारी ने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि जैविक खेती और प्राकृतिक खेती दोनों में अंतर है। प्राकृतिक खेती को कम लागत खेती भी कहा जाता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक स्रोतों का उपयोग किया जाता है जो सरलता से किसानों को सुलभ होता है। इस प्रणाली में किसान बाजार पर निर्भर न रहते हुए सिर्फ एक देशी गाय से 30 एकड़ तक की खेती आसानी से कर सकते हैं। उन्होंने ने प्राकृतिक खेती में प्रयुक्त होने वाले घटकों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि इसमें बीजामृत, जीवामृत का प्रयोग किया जाता है। साथ ही उन्होंने बीजामृत एवं जीवामृत को तैयार करने की विधि को बताया एवं करके दिखाया भी। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ चेलपुरी रामुलु, डॉ जगपाल एवं अन्य कर्मचारी एवं किसान उपस्थित रहे।