सर्पदंश के शिकार हुए करीब 10 वर्ष के बच्चे के बचाव में दादा ने अंधभक्त के विश्वास में न जाने क्या क्या ढाया घोर सितम।

सर्पदंश के शिकार हुए करीब 10 वर्ष के बच्चे के बचाव में दादा ने अंधभक्त के विश्वास में न जाने क्या क्या ढाया घोर सितम।

Bettiah Bihar West Champaran

बैरिया से अजहर आलम के सहयोग से बेतिया से वकीलुर रहमान खान की‌ ब्यूरो रिपोर्ट!

बेतिया/बैरिया (पच्छिम चम्पारण) मामला बैरिया थाना क्षेत्र के भितहाँ गांव की जहां सर्पदंश से एक बच्चे के मूर्छित अवस्था मे उसके परिजन दादा ने चुहड़ी गांव में सर्प के झाड़ फूक के लिए सर्वप्रथम ले गए, जहां समुचित इलाज न होने पर दादा ने पुनः बच्चे को आनन फानन में बेतिया जीएमसीएच इलाज हेतु लाया।

उसी क्रम में चिकित्सको के देखने के पूर्व ही बच्चे की मृत्यु हो गई थी परंतु परिजन ने जब बच्चे को चिकित्सक से दिखाया तो चिकित्सकों ने बच्चे को देख मृत घोषित कर दिया, वही मृत बच्चे के दादा घनश्याम चौधरी ने बच्चे को अपने गांव लाए। जहां बच्चे के अंतिम संस्कार करने के बजाए, गांव में कई तरह के अंधभक्त बाते बच्चे के बचाव के लिए कही जाने लगी, उसी अंधभक्ति के विश्वास में जी रहे दादा ने केले के तम्ब में बच्चे को बांधकर बहते पानी (बड़ी नहर) मे छोड़ दिया,

जिससे उसे किसी विषहर द्वारा बचाया जा सके, इस अंधभक्ति के खेल में बच्चे की जान भी चली गई। संभवतः घटना घटित होने के तुरंत बाद यदि चिकित्सक के देखरेख के लिए बच्चे को लाया जाता तो बच्चे को शायद बचाया जा सकता था। लेकिन पुराने ख्याल में जीने वाले अभी भी अधिकांशतः ऐसे लोग है जिसे जागरूक होने की आवश्यकता है, नही तो ऐसी अंधभक्त विश्वास भरी जिंदगी कुछ न कुछ बड़ी घटना को अंजाम घटित कर देती है। बता दे कि दादा ने यदि झाड़ फूक एवं अंधभक्ति का सहारा नही लिया रहता तो शायद बच्चे का जीवन बचाया जा सकता था।

वही घटना बुधवार के देर संध्या की बताई जा रही है, मृत बच्चे की पहचान बैरिया थाना क्षेत्र के भितहाँ गांव के वार्ड संख्या 12 निवासी, इंद्रजीत चौधरी के करीब 10 वर्षीय पुत्र दीपक कुमार के रूप में हुई है। बता दे कि मृत बच्चे के शव को मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के रूपडीह गांव समीप नहर से ग्रामीणों के सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर बेतिया जीएमसीएच पोस्टमार्टम हेतु लाया।

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