मनरेगा के मजदूरों के साथ हो रहा है हकमारी!

मनरेगा के मजदूरों के साथ हो रहा है हकमारी!

Bettiah Bihar West Champaran सिकटा

मजदूरों की जगह मशीनों से लिया जा रहा है  काम!*

मजदूर दूसरे प्रदेशों में पलायन करने  के लिए हो रहे हैं मजबूर!

सिकटा  संवाददाता अमर कुमार की रिपोर्ट!

सिकटा( पश्चिमी चंपारण)  इनदिनों सिकटा ज्ञप्रखंड में सरकारी राशि के क्रियान्वयन में लूट मची हुई है।सभी सरकारी नियमों को ताक पर रख कर मनरेगा के कर्मी विकास कार्यो के नाम पर सरकारी राशि को बंदरबांट करते हुए लूट रहे है।इसमे इनका भरपूर साथ प्रखंड स्तरीय अधिकारियों का मिल रहा है।ऐसे कई मामले है जहाँ मजदूरों के जगह ट्रेक्टर से काम को कराकर अधिकारी मजदूरों को पलायन करने पर बाध्य कर दे रहे है।सरकार का अति महत्वपूर्ण योजना मनरेगा जहाँ मजदूरों को रोजगार की गारंटी मुहैया कराने की दावे सरकार करती है।वावजूद इसके प्रखंड में लालफीताशाही इसकदर हावी है कि संवेदक अधिकारी से साठगांठ कर सरकारी राशि का जम कर दुरुपयोग कर रहे है।

उधर गरीब मजदूर काम नही मिलने के कारण दो वक्त के निवाले के जुगाड़ में अपने परिवार और समाज अपने खुशियों को त्याग कर रोजीरोटी की तलाश में अन्य प्रांतों में निकल रहे है।इनदिनों प्रखंड मुख्यालय, किसान भवन, बीडीओ आवास समेत कई गैरजरूरी कामो को कराकर लाखो रुपये सरकारी राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है। वही बाजार में सड़कों पर गंदे नाली का पानी बह रहा है।इसकी सुधि लेने वाला कोई नही है।हल्की बारिश से भी बाजार की सड़कों पर चलना दूभर हो जाता है।वहाँ महामारी फैलने की आशंका बनी हुई है।

वही बीडीओ के लाखों रुपये खर्च कर वीआईपी आवास बनने के बाद बिना मतलब बाउंडरी के बाहर करीब आठ लाख तीस हजार की लागत से मिट्टी भराई व पेवर ब्लाक का कार्य और फिर उसके बाद एक अलग से बाउंडरी का निर्माण आठ लाख पैसठ हजार पांच सौ इक्यावन रुपये की लागत से किया जा रहा है।हालांकि इसकी चर्चा जोरों पर है कि वीआईपी आवास बनने के बाद अलग से मिट्टी की भराई कर फिर से बाउंडरी बनाने की क्या जरूरत है।और यह कौन से जरूरी जनहित के कार्य है जिसमे सरकार के करीब सत्रह (17)लाख रुपयों की बर्बादी की गई है।उसमें भी मनरेगा से कराए गए इस कार्य मे मजदूरों के पेट पर लात मरते हुए मिट्टी भराई का कार्य मजदूरों की जगह ट्रेक्टर से कराया गया।और तो और बीडीओ आवास में काम, मजदूरों की जगह ट्रेक्टर से मिट्टी भराई का काम चला और उसको रोका नही गया।

यह दर्शाता है कि इस काम मे अधिकारी की संलिप्तता है।कार्य स्थल पर दोनों कार्यो की सूचना पट्ट भी नही लगाया गया है ताकि अवाम को मालूम चल सके कि इस दोनों योजनाओं की प्राक्कलित राशि क्या है और योजना को किस नाम से जाना जाएगा।बुद्धिजीवी बर्ग का कहना है कि योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जरूरी है, तो क्या प्रशासनिक स्वीकृति देने वाले अधिकारी कार्य स्थल की मुआयना करना मुनासिब नही समझते या टेबल के नीचे से ही सब काम हो जाता है।हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर बीडीओ मीरा शर्मा ने कहा कि य मेरे सामने तो लेबर काम कर रहे थे।मेरे जाने के बाद ट्रेक्टर से मिट्टी गिरा होगा तो इसकी जानकारी नही है।यहाँ राजनीति हो रही है।अब सिकटा में विकास नही विनाश होगा।

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