20 वर्षों से सीमा की स्थिति बदली, सीमावर्ती गाओ का हुआ विकास:-एसएसबी।

20 वर्षों से सीमा की स्थिति बदली, सीमावर्ती गाओ का हुआ विकास:-एसएसबी।

Bihar West Champaran सिकटा

सिकटा संवाददाता अमर कुमार की रिपोर्ट,

बेतिया/ सिकटा – सिविक एक्शन कार्यक्रम के तहत संचालित 30 दिवसीय सिलाई कार्यक्रम का समापन हो गया है।इसमे शामिल सभी सिलाई सीखने वाली महिलाओं को एसएसबी द्वारा प्रमाण पत्र दिया गया।रामा फाउडेंशन द्वारा संचालित इस सिलाई कार्यक्रम में 25 युवती एवं महिलाओं ने इसमे भाग लेकर प्रशिक्षण लिया।कार्यक्रम में को संबोधित करते हुए डिप्टी कमांडेंट एम ब्रोजेन ने कहा कि महिलाएं सामाजिक और देश की दशा दिशा बदलने में बेहतर योगदान निभा सकती है।

वे अब किसी पर निर्भर नही होकर स्वालंबी बन कर अपने और अपने परिवार की आर्थिक विकास के साथ साथ बहुत कुछ कर सकती है।आप सबने जिस मेहनत और लगन से इस प्रशिक्षण में भाग लेकर सिलाई सीखी है, यह आपके लिए महत्वपूर्ण है।इससे बिना पूंजी के भी अच्छी कमाई कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकती है।इसमे महिलाएं खुद हुनर सिख कर दूसरे को सीखा भी सकती है। 20 सालों में बॉडर पर सुरक्षा को लेकर स्थिति बदली भी है।पहले में और अब में बहुत फर्क है।सीमा पर एसएसबी देश की सुरक्षा के साथ सामाजिक कार्यो को भी अंजाम देती है।इसके तहत कई कार्यक्रम का संचालन एसएसबी समय समय पर करती है।

सामाजिक चेतना अभियान के तहत सीमावर्ती गाओ के विकास पर भी ध्यान दिया जाता है।गांव के बच्चे पढ़े लिखे इस पर भी एसएसबी काम करती है।एसएसबी के असिस्टेंट कमांडेंट सतीश कुमार गुप्ता ने भी महिलाओं के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि आप सब का दायित्व बहुत बड़ा है।महिलाओं का सामूहिक विकास हो भारत सरकार इसके लिए कई तरह की कार्यक्रम चलती है।जिससे कि महिलाएं आत्मनिर्भर बन कर जीवन मे आगे बढ़ सके।

एक महिला ही सामाजिक विकास में बेहतर भूमिका निभा सकती है।सिलाई सिखाने वाली महिला सुनीता देवी ने भी इस कार्यक्रम के लिए एसएसबी की सराहना करते हुए कहा कि एसएसबी सुरक्षा के साथ वन्धुत्व कि भूमिका भी निभाती है।मौके पर विजय लक्ष्मी रौनियार, सबिता देवी, कुसुम, कंचन कुमारी, खुश्बू, काजल, चांदतारा समेत एसएसबी के एसआई कुलदीप कुमार, रामा फाउंडेशन के रवीकेश पांडेय ,मुखियापुत्र राजन चौरसिया, मंटू सर्राफ समेत कई अन्य महिलाएं शामिल रही।

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