
जनता दल यूनाइटेड ने लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है, जिसको लेकर उनके पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने ट्विटर पर भारी विरोध जताया है। पीके ने नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए जदयू नेतृत्व को 2015 में मिले वोटों की याद दिलाई है. गौरतलब है कि प्रशांत किशोर इससे पहले भी कई बार खुल कर इस बिल का विरोध कर चुके है।
प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा है कि नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करने से पहले जेडीयू नेतृत्व को उन लोगों के बारे में एक बार जरूर सोचना चाहिए जिन्होंने 2015 में उन पर विश्वास और भरोसा जताया था. उन्होंने आगे लिखा है कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे.
इतना ही नहीं उन्होंने जदयू को गांधी की विचारधारा पर चलने वाली पार्टी करार करते हुए लिखा कि यह बिल धर्म के आधार पर भेदभाव पैदा करता है और यह जदयू के उस संविधान से बिल्कुल मेल नहीं खाता, जिसकी पहली पंक्ति में तीन बार धर्मनिरपेक्ष शब्द लिखा गया है।
ऐसे में इस बिल पर पार्टी के उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर से पार्टी के अध्यक्ष और बिहार के मुखिया नीतीश जी के राय का अलग होना निश्चित तौर पर पार्टी के भीतर मतभेदों को दर्शा रहा है। ऐसे में आगामी विधनसभा चुनाव को देखते हुए सुशासन बाबू को जनता दल को यूनाइटेड रखने के लिए पार्टी के भीतर काफ़ी काम करने की आवश्यकता है।