ऐतिहासिक बेतिया राज के 5000 वर्षों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को कंप्यूटराइज कर संरक्षित करने की सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने पुनः की सरकार से मांग।
ब्यूरो रिपोर्ट, वकीलूर रहमान खान,
बेतिया: सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में, शिक्षाविद ,पर्यावरणविद , कला प्रेमी, वीरांगना, बेतिया राज की अंतिम महारानी महारानी जानकी कुंवर की 68 वीं पुण्यतिथि पर सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ,बुद्धिजीवियों ने भाग लिया!
इस अवसर पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सचिव ,डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय झारखंड डॉ शाहनवाज अली अमित कुमार लोहिया वरिष्ठ अधिवक्ता शंभू शरण शुक्ल सामाजिक कार्यकर्ता नवीदूं चतुर्वेदी पश्चिम चंपारण कला मंच की संयोजक शाहीन परवीन डॉ महबूब उर रहमान एवं अल बयान के सम्पादक डॉ सलाम ने संयुक्त रूप से विरांगना महारानी जानकी कुंवर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला।महारानी जानकी कुंवर का जन्म मार्च 1870 ई0 में हुआ था ।
मात्र 23 वर्ष की आयु में, उनका विवाह ,बेतिया महाराज हरेंद्र किशोर सिंह से 02 मार्च 1893 ई0 को कोलकाता स्थित बेतिया राज के महल में हुआ था । मात्र 22 दिन ही सुहागन रही थी, महारानी जानकी कुंवर । 1896 ई0 में महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह की पहली पत्नी, महारानी शिव रतन कुंवर की मृत्यु के बाद बेतिया राज की महारानी के रूप में पदभार ग्रहण किया। लगभग अपने 1 वर्ष के शासनकाल में महारानी जानकी कुंवर ने अनेक रचनात्मक कार्य किए ताकि बेतिया के आम जनों के जीवन को सरल एवं सुलभ बनाया जा सके। महारानी जानकी कुंवर ने अपने 1 वर्ष के शासनकाल में बेतिया मेडिकल कॉलेज के लिए एक बड़ी धनराशि मुजफ्फरपुर स्थित बैंक में जमा कराई ताकि बेतिया में उच्च श्रेणी का मेडिकल कॉलेज ,अस्पताल स्थापित हो एवं देश-विदेश से लोग इलाज के लिए बेतिया की तरफ रुक करें।
महारानी जानकी कुंवर का मेडिकल कॉलेज अस्पताल का सपना लगभग 110 वर्ष बाद पूरा हुआ।उन्होंने मंदिरों , गिरजा घरो धर्मशालाओ एवं अनेक पाठशालाओं की स्थापना कराई। इसी बीच अफगानिस्तान से लेपिस जूई नामक हीरा को मांगा कर भारत के राजा रजवाड़ों के बीच चर्चा का विषय बन गई। जनता द्वारा किए गए उनके कार्यों से अंग्रेज नाखुश थे । इसी बीच एक षड्यंत्र के तहत 1897 ई0 को महारानी जानकी कुंवर को मानसिक रूप से बीमार घोषित करते हुए बेतिया राज कोर्ट ऑफ वार्ड्स के हवाले कर दिया गया। आज भी कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अंतर्गत बेतिया राज सामाजिक एवं प्रशासनिक उदासीनता का शिकार है। हजारों वर्षों के ऐतिहासिक धरोहर एवं दस्तावेज नष्ट हो रहे हैं इन बहुमूल्य दस्तावेजों को दस्तावेजों को अविलंब कंप्यूटराइज करने की अति आवश्यकता है।
सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन ने विभिन्न अवसरों पर विभाग के प्रधान सचिव एवं तत्कालीन जिलाधिकारी से इस पर बात की थी ।महारानी जानकी कुंवर बेतिया से इलाहाबाद 07 अटैची रोड स्थित, बेतिया राज महल में चली गई ।लेकिन प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर त्रिवेणी संगम पर आती और 1 वर्ष की योजना बनाकर चली जाती !अपने 84 वर्ष की लंबी आयु के बाद 27 नवंबर 1954 को 07 अटैची रोड स्थित ,बेतिया राज के महल में महारानी ने अंतिम सांस ली। स्मरण रहे कि महारानी जानकी कुंवर बेतिया पश्चिम चंपारण एवं देश की ऐसी महिलाएं रही हैं जो लगभग 50 वर्षों तक 18 97 से लेकर 1947 तक अंग्रेजों की यातनाओं की शिकार रही। स्मरण रहे कि सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं बेतिया पश्चिम चंपारण की आम जनता की ओर से प्रत्येक वर्ष महारानी को उनके पुण्यतिथि एवं जन्मदिवस पर याद किया जाता रहा है।
इस ऐतिहासिक अवसर पर वक्ताओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि कला संस्कृति एवं युवा विभाग (संग्रहालय निदेशालय) द्वारा स्थापित बेतिया संग्रहालय आज बंद पड़ा हुआ है। सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं बेतिया पश्चिम चंपारण के बुद्धिजीवियों का एक शिष्टमंडल पहल करते हुए महारानी जानकी कुंवर की 150वीं जन्म शताब्दी से राज देवरी स्थित बेतिया संग्रहालय को जीवंत रूप देने के लिए एक जन जागरण अभियान चला रहा है। इसके लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार की जा रही है ताकि आने वाली पीढ़ी अपने गौरवशाली इतिहास को जान सके।
बेतिया संग्रहालय को जीवंत करने के लिए सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन एवं विभिन्न सामाजिक संगठन काफी इच्छुक हैं ।यही होगी महारानी जानकी कुंवर के लिए सरकार की ओर से सच्ची श्रद्धांजलि।इस अवसर पर वक्ताओं ने बेतिया मेडिकल कॉलेज अस्पताल को महारानी जानकी कुंवर के नाम पर रखने की मांग करते हुए बेतिया राज की जमीन पर बसे लोगों का सर्वेक्षण कराकर उन्हें स्थाई रूप से व्यवस्थित करने की मांग की साथ ही साथ बेतिया राज के लगभग 1000 से 5000 वर्षों तक के गौरवशाली रिकॉर्ड रूम को कंप्यूटराइज करने की मांग की थी ताकि बहुमूल्य धरोहरों को संरक्षित किया जा सके।