प्रधान संपादक: ललन कुमार सिन्हा
पूर्वी चंपारण: धर्म के नाम पर ढोंग रचने वाली, धर्म के नाम पर वोट मांगने वाली पाखंडी सरकार की दोहरी नीति शिक्षकों के प्रति ही क्यों..?
बार-बार त्योहार के मौके पर विद्यालय को खुला रखना, शिक्षक को छुट्टी नही देना,
क्या इससे शिक्षा में क्रांति आ जायेगी….?
आधे-अधूरे राम मंदिर उद्धघाटन के मौके पर देश में अवकाश जैसा माहौल इसलिए बनाया गया कि आसानी से धर्म के नाम पर वोट लिया जा सके।
जिस मुद्दे पर सरकार को ज्यादा फायदा हो वह मुद्दा जायज है….!
मगर परंपरागत त्योहारों जैसे:- रक्षाबंधन, होली इत्यादि के मौके पर के के पाठक द्वारा तुगलकी फरमान जारी कर जबरन विद्यालय बुलाया गया।
इस दरम्यान शिक्षकों के साथ जो हुआ उसे देखकर आप हैरान हो जाएंगे।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार तुगलकी फरमान का विरोध करते हुए, सरकार को कोसते हुए …शिक्षक तो विद्यालय पहुँच गए लेकिन विद्यालय में एक भी बच्चें उपस्थित नहीं रहे।
आप सोंच सकते है होली जैसे हुड़दंग वाले पर्व में दूर-दराज से आने वाली महिला शिक्षिकाएं कैसे विद्यालय पहुँची होगी। यह सोंचकर आपकी रूह कांप जाएगी।
आप देख सकते है कितनी परेशानी झेलते हुए शिक्षक विद्यालय पहुँचे है।
रास्ते मे किसी की कमीज फ़टी है तो किसी के ऊपर कीचड़ वाली मिट्टी डाल दी गयी है।
कई शिक्षक जख्मी भी हुए है
किसी के सर में चोट लगी है तो किसी का पैर टूट गया है।
धूल झोंकने के कारण एक शिक्षक को अपनी आँख भी गवानी पड़ी है।
इस परिस्थिति में महिला शिक्षिकाओं की सुरक्षा की जिम्मेवारी कौन लेगा? विभाग ने जितना जोश दिखाते हुए होली की छुट्टियां रद्द किया था उतनी ही तत्परता दिखाते हुए महकमे के अधिकारियों को ऐसी घटनाओं पर करवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। News 0 Km की टीम प्रशासन से अपील करती है की वह स्वतः संज्ञान लेते हुए इन मनचलों पर उचित धाराओं में केस दर्ज करके त्वरित तौर पर कानूनी कारवाई करे ताकि भविष्य में किसी सरकारी विद्यालय में ऐसी हरकत न हो।