
रिपोर्ट: कुन्दन कुमार पटना: मकर संक्राति के अवसर पर राजधानी पटना के प्रतिष्ठ जेनिथ कामर्स एकादमी में चूड़ा-दही के भोज का आयोजन किया गया। जेनिथ कामर्स एकादमी के डायरेक्टर सुनील कुमार सिंह ने कंकड़बाग स्थित इंस्टीच्यूट में चूड़ा-दही भोजन का आयोजन किया।
उन्होंने कहा कि उनके द्वारा हर साल चूड़ा-दही भोज का आयोजन करने का एक ही मकसद रहता है कि इसी बहाने सभी एक दूसरे से मिले अपना सुख-दुख बांटे और आपस में भाईचारा बनाए रखें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। चूंकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है।

इस दही चूड़ा भोज में शामिल होकर लोगों ने भारतीय संस्कृति की सभ्यात की झलक दिखाई इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों ने एक दूसरे के साथ बैठकर दही-चूड़ा और तिलकुट का आनंद लेते हुये अपनी-अपनी बात भी रखी। भोज में चूड़ा-दही के साथ तिलकुट एवं स्वादिष्ट भोजन की व्यस्था किया गया था।
जिसमे लोगों ने शामिल होकर परंपरागत खानपान का आनंद उठाया। दही चूड़ा कार्यक्रम में सभी लोगों ने एकदूसरे को मकर संक्रांति की बधाई दी।
पार्श्वगायक कुमार संभव ने कहा कि दही हर मायने में फायदेमंद है। और चूड़ा नया धान आने के बाद उसे कुटाई कर चूड़़ा बनाया जाता है।
इसका आनंद कुछ और है और दही चूड़ा ,तिलकुट राशि परिवर्तन के बाद शारीरिक क्षमता में परिवर्तन आने से रोकता है क्योंकि मकर संक्राति मकर रेखा पर ही आधारित है। दही और चूड़ा आपसी भाईचारा का मिसाल है, सभी लोग तो इस दिन दही चूड़ा खाते है लेकिन आपस में साथ बैठकर खाना भाईचारा का संदेश देता है।