महिला दिवस आयोजित, बाल विवाह उन्मूलन एवं घरेलू हिंसा की रोकथाम को आगे आए जागृत समाज।

Bettiah Bihar West Champaran

राष्ट्रीय महिला दिवस पर सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन, मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों ने की अपील।

बेतिया से वकीलुर रहमान खान की ब्यूरो रिपोर्ट।

बेतिया (पश्चिमी चंपारण)
13 फरवरी मंगलवार के दिन राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर बेतिया नगर के सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन के सभागार सत्याग्रह भवन में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ,जिसमें विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया ।

इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय पीस एंबेस्डर सह सचिव सत्याग्रह रिसर्च फाउंडेशन डॉ एजाज अहमद अधिवक्ता, डॉ सुरेश कुमार अग्रवाल चांसलर प्रज्ञान अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय , वरिष्ठ पत्रकार सह संस्थापक मदर ताहिरा चैरिटेबल ट्रस्ट डॉ अमानुल हक, डॉ महबूब उर रहमान,डॉ शाहनवाज अली ,डॉ अमित कुमार लोहिया, सामाजिक कार्यकर्ता नवीदु चतुर्वेदी ने संयुक्त रूप से राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी कोकिला सरोजिनी नायडू एवं विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि आज पूरा राष्ट्र राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है। भारत सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष भारत की महान स्वतंत्रता सेनानी कोकिला सरोजिनी नायडू के सम्मान में एवं भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी अतुल्य योगदान को देखते हुए प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी उनके जन्म दिवस के अवसर पर भारत सरकार एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इस अवसर पर वक्ताओं ने बाल विवाह उन्मूलन एवं घरेलू हिंसा की रोकथाम के लिए समाज में नई जागृति लाने की अपील की। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि सरोजिनी नायडू भारत की प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी व कवयित्री थी। उन्हें भारत कोकिला यानी नाइटिंगेल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। इतना ही नहीं वह आजाद भारत की पहली महिला राज्यपाल भी रही हैं। ब्रिटिश सरकार के खिलाफ देश को आजादी दिलाने के लिए हुए स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है।
राष्ट्रीय महिला दिवस सरोजिनी नायडू को समर्पित है। सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फरवरी 1879 को हुआ था। वह बचपन से बुद्धिमान थीं। जब सरोजिनी नायडू 12 साल की थीं, तब से उन्हें कविताएं लिखनी शुरू कर दी थी। बाद में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। देश की आजादी और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

आजादी के बाद सरोजिनी नायडू को पहली महिला राज्यपाल बनने का भी मौका मिला। उनके कार्यों और महिलाओं के अधिकारों के लिए उनकी भूमिका को देखते हुए सरोजिनी नायडू के जन्मदिन के मौके पर राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। वह महिला सरोजिनी नायडू थी। भारत सरकार ने 2014 में सरोजिनी नायडू की जयंती को राष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने की शुरुआत की । सरोजिनी नायडू की कई उपलब्धियां हैं । साहित्यिक योगदान पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने कई कविताएं लिखी, कुछ कविताएं तो पाठ्यक्रम में शामिल की गईं। क्योंकि वह बहुत ही मधुर स्वर में अपनी कविताओं का पाठ किया करती थीं, इसी कारण सरोजिनी नायडू को भारत कोकिला कहा जाता था।

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