*सिकटा* *संवाददाता अमर कुमार की रिपोर्ट*
स्थानीय प्रखंड में गोबर्धन पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।महिलाओं ने भक्ति भाव से पूजा अर्चना किया।अरेराज संस्कृत उच्च विधायल के प्रोफेसर आचार्य अमोध कुमार पांडेय ने बताया गोबर्धन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है।गोबर्धन पर्वत गोधन भगवान श्री कृष्ण और गाय की पूजा का विशेष महत्व है।इसके साथ ही वरुण देव, इंद्र देव और अग्नि देव की पूजा का भी विधान है।पूजा में विभिन्न प्रकार के अन्न को समर्पित और वितरित किया जाता है।इसी वजह से इसे इस उत्सव का नाम अन्नकूट पड़ा है।इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को अनेको प्रकार का भोग लगाया जाता है।श्रीकृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से गोबर्धन पूजा प्रारंभ हुआ।आज के गोबर्धन पूजा के बाद से शादी बिबाह का लग्न भी शुरू हो जाता है।इसे शुभ कार्य का प्रारंभ भी माना जाता है।आज के दिन यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है।आज के दिन यम भी अपने बहन यमुना के यहाँ जाते है।और बहन के घर भोजन कर बहन का आशीर्वाद प्राप्त करते है।आज के दिन सभी बहने अपने भाई के लिए दीर्घायु और आरोग्य की कामना करती है।इस दिन सूखा मटर(बजड़ी)मिठाई के साथ बहन अपने भाई को खिलाती है।कामना करती है कि सूखे मटर की तरह भाई बलवान और पुस्ठ हो।