ब्यूरो रिपोर्ट, बेतिया: गौनाहा प्रखंड के बारागांवा क्षेत्र जिसमें एकवा, परसौनी, खैरटिया, भवानीपुर, जमुनिया आदि गांव आते हैं जहां गर्मी के मौसम में पानी की कमी हो जाती है, वहां जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के कार्य कराने का निदेश दिया गया है। जिलाधिकारी, श्री कुंदन कुमार ने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से जल संरक्षण के उपाय को ढ़ूंढ़ने की आवश्यकता है ताकि यहां के निवासियों को पानी की किल्लत नहीं हो तथा पर्यावरण को भी संतुलित करने में सहायता मिलेगी।
इसके लिए जन अभियान भी चलाना सुनिश्चित किया जाय ताकि जल संचयन कर पर्याप्त मात्रा में पानी का भंडारण आदि किया जा सके। जिलाधिकारी आज कार्यालय प्रकोष्ठ में आयोजित समीक्षात्मक बैठक में अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा गांव के बड़े-बुजुर्ग काफी अनुभवी होते हैं, हमें उनके अनुभवों के आधार पर यह पता करना है कि जल संरक्षण हेतु इन क्षेत्रों में क्या-क्या किया जा सकता है। इनसे प्राप्त फीडबैक के आधार पर अग्रतर कार्रवाई किया जाय। उन्होंने कहा कि बरसात के समय बारिश के पानी का एक जगह पर ठहराव नहीं हो पाता है जिस कारण कई तरह की परेशानियां उत्पन्न हो रही है। हम सभी को मिलकर बारिश के पानी को एकत्रित करने हेतु कार्य करना होगा।
जिलाधिकारी ने कहा कि जल संचयन हेतु जल स्रोतों की खोज करना नितांत आवश्यक है। इसके लिए बारिश में पानी कहां से आता है और किन-किन रास्तों से होकर किस नदी में जाकर मिलता है, इसका व्यापक सर्वेक्षण करना होगा। इसके साथ ही जो पोखर, तालाब लगभग विलुप्त होने के कगार पर हैं उनको चिन्हित करते हुए उनका जीर्णोंद्धार करने का निदेश भी संबंधित अधिकारियों को दिया गया है।
उन्होंने कहा कि वन विभाग एवं मनरेगा के द्वारा छोटे-छोटे बोल्डर के माध्यम से चेक डैम बनाया जा रहा है। जिन क्षेत्रों में पानी की किल्लत होती है वहां पोखर एवं तालाबों का निर्माण कार्य योजना बनाकर किया जाय।
उन्होंने कहा कि निजी जमीनों पर भी मनरेगा योजना के तहत खेत पोखर आदि का निर्माण कराया जाय। इन पोखरों में मछली पालन के साथ ही किनारे पर जामुन, अमरूद का पेड़ भी लगाने हेतु कार्रवाई की जाय। इस हेतु आमजन को प्रेरित एवं उत्साहित किया जाय। जिलाधिकारी ने कहा कि इससे जहां एक ओर जल संचयन को बढ़ावा मिलेगा वहीं लोगों को स्वरोजगार भी मिलेगा तथा उनकी आर्थिक उन्नति भी होगी ।
जिलाधिकारी ने कहा कि गर्मी के मौसम में वन क्षेत्रों में जीव-जन्तुओं को पीने के लिए पानी की भी दिक्कतें होती हैं। पोखर एवं तालाब का निर्माण हो जाने के उपरांत जीव-जन्तुओं को भी लाभ मिलेगा।
साथ ही गर्मी के मौसम में आग लग जाने की स्थिति में भी इससे सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों में इच्छुक लोगों की जमीन पर अभियान चलाकर वृक्षारोपण का कार्य सम्पन्न कराया जाय। इसमें आंवला, छोटा अमरूद, लीची तथा ऐसे तमाम पौधे जो कम समय में फल देने लगते हैं को लगवाया जाय।
इस अवसर पर जिला परिषद अध्यक्ष, श्री शैलेश गढ़वाल सहित उप विकास आयुक्त, श्री रवीन्द्र नाथ प्रसाद सिंह, कार्यपालक अभियंता, मनरेगा आदि उपस्थित रहे।